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नये सम्वत्सर का आरम्भ
आज नये सम्वत्सर की शुरूआत बहुत ही अनोखे योग से हो रही है।
नये सम्वत्सर का नाम है – प्रमादी
सूर्य देव-शनि देव के उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में ।
शनि देव-सूर्य देव केउत्तराआषाढ नक्षत्र में।
परस्पर नक्षत्र परिवर्तन योग जो एक दुर्लभ योग है ।
मंगल एवं शनि देव दोनो मकर राशी मे एक साथ
मंगल देव उत्तराआषाढ नक्षत्र के दूसरे चरण मे
शनि देव उत्तराआषाढ नक्षत्र के तीसरे चरण मे
और तो और गुरू देव भी चदं दिनो के लिये उत्तराआषाढ नक्षत्र के प्रथम चरण मे गोचर कर रहे है ।
यानी मगंल-शनि-गुरू तीनो सूर्य देव के नत्रत्र में
दुर्लभ संयोग ये है कि शुक्र देव भी सूर्य के नक्षत्र कृतिका मे गोचर कर रहे है।
यानि म़गल-शनि-गुरू-शुक्र चारो सूर्य देव के नक्षत्र मे है
जबकि स्वयं सूर्य देव शनि देव के नत्रत्र मे गोचर कर रहे है।
नये सम्वत्सर की शूरूआत कितनी विचित्र है ना
चंद्रमा बुध के रेवती नक्षत्र मे।
बुध राहू के शतभिषा नक्षत्र मे।
राहू स्वयं के आर्दा नक्षत्र में।
केतु स्वयं के मूल नक्षत्र में।
हर्षल केतु के अश्विनी नक्षत्र में।
नेप्च्युन यानि वरूण गुरू के पूर्वाभार्दपद नक्षत्र में।
प्लूटो भी सयोंग से सूर्य के उत्तराआषाढ नक्षत्र में।
कुल मिलाकर :-
भीषण गर्मी आंधी अधंड का प्रकोप।
प्रचंड वैश्विक विनाश के साथ साथ भारत की स्थति भी बेकाबू।
देश मे भंयकर आर्कोष की स्थिति।
कुछ विचित्र अप्रत्याशित घटनाएं।
नयी अर्थनीति की शुरूआत।
नये वैश्विक राजनैतिक समीकरण।
कुछ विख्यात लोगो का पतन।
भारत मे किसी ओर वयक्ति का तेजी से उदय।
ये नया सम्वत्सर वर्तमान विनाश के साथ साथ नये सृजन की शुरूआत करेगा।